केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ के नेतृत्व के अंतर्गत 1990 से कार्यक्रम को कार्यान्वित किया जा रहा है। इसमें 14 विभिन्न राष्ट्रीय / राज्य अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं सहित विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
क) उद्देश्य
- भारतीय जल में पाए जाने वाले समुद्री जीवों के जैव – पूर्वेक्षण
- औषधियों की खोज
- 12 योजना अवधि के दौरान प्रस्तावित आधुनिक सुविधाओं सहित औषधि का विकास
ख) सहभागी संस्थाओं
- केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), लखनऊ
- राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, (एनआईओ), गोवा
- केंद्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसएमसीआरआई), भावनगर
- भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद
- खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएमटी), भुवनेश्वर
- राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान, (एनआईओटी), चेन्नई
- उपचार, शिक्षा एवं अनुसंधान उन्नत केंद्र (एसीटीआरईसी), मुंबई
- केंद्रीय मत्स्य पालन शिक्षा संस्थान (सीआईएफई), मुंबई
- मत्स्य पालन विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार, कोलकाता
- नेशनल टोपीवाला मेडिकल कॉलेज, मुंबई
- आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापट्टनम
- कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय, परनगीपेटाई
- मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई
- केंद्रीय समुद्री सजीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी, कोच्चि
ग) कार्यान्वयन योजना
चल रहे कार्यक्रमों को देखते हुए, इस कार्यक्रम को 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि अर्थात् 2012-17 के दौरान अगले पांचवर्ष तक जारी रखने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सक्रिय यौगिकों के अन्वेषण, पहचान, निष्कर्षण, जैव मूल्यांकन, पुन: संयोजी रासायनिक विश्लेषण, संश्लेषण से उत्पाद विकास तक भैषजिक उद्योगों की भागीदारी की जाएगी और मिशन मोड विधि से कार्य किया जाएगा। यह प्रस्तावित है कि 12वीं योजना अवधि के दौरान सीएमएलआरई, कोची में 'समुद्र से औषधियों पर उत्कृष्टता केन्द्र' स्थापित किया जाए और एनआईओटी, चेन्नई में मूल संरचना को मजबूत बनाने के साथ मानव युक्त पनडुब्बी और गहरे समुद्र से नमूने लेने की मशीन आदि इस्तेमाल की जाए और इसमें सभी संगत क्षेत्रों में समुद्री नमूने जमा करने से लेकर औद्योगिक भागीदारों के साथ पूर्ण कालिक वर्गीकरण वैज्ञानिकों सहित अनुभवी और समर्पित वैज्ञानिक दलों को शामिल किया जाए। इसके अलावा मौजूदा प्रतिभागी केन्द्रों में भैषजिक उद्योगों के साथ अनेक संस्थानों को जोड़ने / शामिल करने का भी प्रस्ताव है।
अन्वेषण कार्य
- तटीय और अपतटीय (मानवयुक्त पनडुब्बी) से नए जीवों का संग्रह
- गतिविधि, आदि की पुष्टि के लिए सक्रिय नमूनों का पुन: संग्रह
- अनुवर्ती अध्ययन के लिए सक्रिय सामग्रियों का बड़े पैमाने पर संग्रह
- विशेषता और संरचनात्मक दृढ़ संकल्पना, पेटेंट के आधार पर सक्रिय सामग्री के संश्लेषण और वाणिज्यिक मूल्य / योग्यता
- जैविक निगरानी के लिए ‘’इन-विट्रो’’ और ‘’इन-विवो’’ परीक्षण मॉडलों का विस्तार और उन्नयन जारी रहेगा,
- डेटाबेस और अन्य सुविधाओं के उपयोग से सूचना प्रौद्योगिकी का सुदृढ़ीकरण जारी रहेगा, और
- जैव परीक्षण, रासायनिक विश्लेषण, बौद्धिक संपदा अधिकार और लाभ साझा करने के मानव संसाधन विकास प्रशिक्षण जारी रहेंगे।
क्लिनिकल ट्रायल का आयोजन
सीडीआर – 134 – डी – 123 - एंटी हायपरग्लायसेमिक उत्पाद
सीयू1 – 002 - एंटी हायरपरलिपिडेमिक उत्पाद
सीडीआर – 134 – एफ – 194 - एंटी – हायपरग्लायसेमिक – सह – एंटी – हायपरलिपिडेमिक उत्पाद
सीडीआर – 134 – डी125 - एंटी डायरिया
छानबीन में शीघ्रता लाने के लिए सक्रिय यौगिकों को पेटेंट योग्य बनाने, संरचनात्मक विश्लेषण, पुन: संयोजन रसायन और अणुओं के प्रकटन से इसकी दक्षता में सुधार लाने सहित निम्नलिखित गतिविधियों का संश्लेषण प्रस्तावित है :
नई पात्रे और जीवे प्रणालियों का परिचय, एंजाइम और कोशिका आधारित जैव आमापन तथा ग्राही बंधन अध्ययन, जिससे तीव्र जैविक छानबीन और सक्रिय यौगिकों के कार्य की संभावित प्रक्रिया का निर्धारण करने की सुविधा मिलेगी।
कैंसररोधी, बैक्टीरियारोधी, कवक रोधी और प्रज्जवलनरोधी गुणों के लिए नमूनों के मूल्यांकन हेतु नए मॉडलों का विकास और ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान नए प्रोटीनों की अभिव्यक्ति / अभिव्यक्ति का अभाव, आण्विक लक्ष्य आधारित उच्च थ्रुपुट छानबीन से विभिन्न गतिविधियों और अधिगम सुधारों का पता लगाना और विपरीत ट्रांसक्रिप्टेस संदमन का मूल्यांकन करने की परीक्षण प्रणाली।
सीएमएलआरई, कोच्चि में उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना।
गहरे समुद्र से नमूने लाने के लिए मानव युक्त पनडुब्बी की खरीद / दो मानवयुक्त पनडुब्बी को किराए पर लेना ताकि भारतीय ईईजेड के 2.02 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में गहरे समुद्र के जीवों का अध्ययन आरंभ किया जाए।
व्यापक वर्णक्रम की जैव गतिविधियों आदि के लिए छानबीन हेतु 'तटीय महासागर निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली (सीओएमएपीएस)' के तहत संग्रह किए गए सूक्ष्मजैवी विभेद, और
छानबीन, जैव अमापन विकास, लीड अनुकूलन, रासायनिक विश्लेषण, उत्पाद विकास में परियोजना कर्मचारियों के प्रशिक्षण में भैषजिक उद्योगों को शामिल करना।
घ) वितरण योग्य :
परियोजना के अंत में उत्साहवर्धक परीक्षण संभावित औषधियों की उपज का संकेत करते हैं।
ड) बजट : 200 करोड़ रु.
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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समुद्र से औषधि | 20 | 30 | 50 | 50 | 50 | 200 |