एकीकृत तटीय और समुद्र क्षेत्र प्रबंधन (इकमाम) का लक्ष्य अपरदन और पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन जैसी समस्याओं के समाधान और तटीय महासागर निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली (कोमैप्स) कार्यक्रम में वैज्ञानिक साधनों और तकनीकों का उपयोग करना है जो भारत के आसपास के समुद्रों में समुद्री प्रदूषण के स्तर की निगरानी करने के लिए बनाया गया है।
इकमाम कार्यक्रम 1998 से एक परियोजना विधि पर संचालित किया गया है। इस परियोजना का कार्यान्वयन मॉडल इकमाम योजनाओं की तैयारी, महत्वपूर्ण अधिवासों के लिए जीआईएस आधारित जानकारी, अपशिष्ट ग्रहण क्षमता का निर्धारण करना, ईआईए दिशा निर्देशों का विकास, 'कोई प्रभाव क्षेत्र का निर्धारण करना', तटीय जल के लिए उपयोग वर्गीकरण का निर्धारण करना, चयनित स्थानों के लिए तटरेखा प्रबंधन योजना, तटीय अधिवास के लिए पारिस्थितिकी तंत्र मॉडलिंग, समुद्री पर्यावरण विष विज्ञान और तूफान मर्होमि अप्लावन की मॉडलिंग शामिल हैं। राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के इन कार्यक्रमों को परियोजना मोड में जारी किया जा रहा है । इस कार्यक्रम को जारी रखने के लिए एक लंबी अवधि तक संगठनात्मक ढांचा प्रदान करने हेतु, परियोजना निदेशालय को तटीय अनुसंधान केंद्र का नया नाम दिया जा रहा है। केंद्र के कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए पर्याप्त भवन स्थान की आवश्यकता है। इससे केंद्र के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान समुदायों द्वारा अधिक मेलजोल करना संभव होगा, ताकि तटीय क्षेत्र में प्रचलित समस्याओं को चुनौती देने की क्षमताएं बढ़ाई जा सकें।
यह प्रस्तावित है कि सामाजिक रूप से संगत वैज्ञानिक कार्यक्रमों को अधिक बल दिया जाए जैसे समुद्री जल गुणवत्ता की निगरानी, प्रदूषण के स्तर की भविष्यवाणी, पारिस्थितिकी तंत्र मॉडलिंग, और समुद्री पर्यावरण विष विज्ञान।
मुख्य परियोजनाएं निम्नानुसार हैं :
- मुहानों और तटीय जल के स्वास्थ्य की निगरानी और भविष्यवाणी
- अधिवास विशिष्ट पानी की गुणवत्ता मापदंड
- पारिस्थितिकी तंत्र मॉडलिंग