पूरी दुनिया में यूट्रोफिकेशन तटीय समुद्री जल और मीठे पानी में जलीय परिवेश में पोषक तत्वों का समृद्धिकरण (पानी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि) की वर्तमान समस्या है। बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस बढ़ जाने से फाइटोप्लेंकटन, सूक्ष्म शैवाल और सूक्ष्म जैविक आबादी बढ़ती है और इनकी प्रक्रियाओं से जीवों के संतुलन में अनचाहा विघ्न पड़ता है, अंतत: प्रकाश संश्लेषण श्वसन से अधिक होता है। दूसरी ओर कार्बनिक पदार्थ की अधिक आपूर्ति के विघटन से सूक्ष्म जैविक आबादी में कई बार घुली हुई ऑक्सीजन में कमी आती है (एनोक्सिया और हाइपोक्सिया : ऑक्सीजन की सांद्रता 2 पीपीएम से कम) अत: कठोर हो चुके तल में पानी के अंदर समुद्री नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ जाता है, जिससे मछलियों और अकशेरूकी जंतुओं का जीवन कम हो जाता है।
कोरल रीफ पारिस्थितिकी तंत्र में उपरोक्त स्थितियों का सामना करने के अलावा मौसम में बदलाव के कारण समुद्री जल के तापमान में वृद्धि का अनुभव होता है। तापमान में इस वृद्धि के अलावा ब्लीचिंग होती है जिससे चयापचय प्रक्रियाओं में बदलाव आता है, जो कोरल के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
लक्षदीप में कोरल रीफ के क्षेत्रों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र मॉडल का विकास करना जो जलवायु परिवर्तन होने पर, खास तौर पर समुद्री जल के तापमान में वृद्धि तथा मानवीय गतिविधियों में वृद्धि के कारण कोरल रीफ के स्वास्थ्य में आने वाले बदलावों का अनुमान लगा सके।
द्वीप पारिस्थितिक तंत्र के संबंध में प्रकटित जलवायु बदलाव के प्रभावों का पारिस्थितिक तंत्र स्तर आकलन।
अनुमानित राशि 3.6.5. तटीय अनुसंधान 185 करोड़ रु. का हिस्सा है
Last Updated On 04/24/2015 - 12:13 |