भारत के तटीय क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वी तट और गुजरात में तटीय आपदाओं जैसे चक्रवात, बाढ़ और सुनामी आने की बहुत अधिक संभावना है। इससे समुद्र तल की वृद्धि होती है, जिससे तटीय क्षेत्रों के विभिन्न स्तरों तक डूब जाने की संभावना होती है। उड़ीसा में वर्ष 1999 में आए महाचक्रवात से पारादीप के तटीय क्षेत्रों में विनाश हुआ जिसमें महानदी नामक नदी में लगभग 100 तूफान उठे, जिससे मानव संपत्ति और जीवन को बहुत अधिक नुकसान हुआ। इसी प्रकार 2004 में आए सुनामी तूफान से तमिलनाडु के तटों पर मानव जीवन की हानि के साथ संपत्ति को नुकसान हुआ। प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव उल्लेखनीय रूप से न्यूनतम किया जा सकता है, यदि उचित और समय पर जानकारी उपलब्ध हो। बहु जोखिम मानचित्रण प्रक्रिया से संगत सूचना की उपलब्धता की जरूरत को समर्थन मिलता है जो मानव और संपत्ति की हानि को कम करने के लिए आपदा शमन कार्यनीतियां बनाने में सहायता देती है।
बहु जोखिम मानचित्रों से भौगोलिक प्रभाव के फैलाव के विवरणों सहित जोखिमों के कारण इसमें शामिल जोखिम की सीमा के ब्यौरे, जोखिम के स्तर तथा भू भौगोलिक विवरण जैसे मानव बसावट के विस्तार, संसाधन और मूल संरचना प्रभावित होंगी। ये विवरण क्षेत्र में विभिन्न जोखिमों की सुभेद्यता के आकलन के लिए और निवारक उपायों के लिए अनिवार्य है। इन विवरणों के बिना आपदाओं से निपटना बहुत कठिन होगा।
तटीय सुभेद्यता मानचित्रों को प्रत्येक जोखिम अर्थात सुनामी, समुद्र तल में वृद्धि, तूफान का उठना, प्रतिकूल तरंगों, तटीय क्षरण, तटीय भू आकारिकी, तटीय ढलान और अन्य के आकलन के बाद 1:10000 पैमाने पर तैयार किया जाएगा। इन जोखिमों के बारे में स्वदेशी उपलब्ध संसाधनों / सूचना का उपयोग प्रत्येक जोखिम के कारण तटीय क्षेत्र में बदलावों के अध्ययन हेतु विश्लेषण के लिए जीआईएस का उपयोग किया जाएगा और जोखिम वाले क्षेत्रों / उतार चढ़ाव वाले क्षेत्रों में प्रत्येक जोखिम के लिए भारांक से उत्पन्न जोखिमों की युक्ति संगत स्केलिंग के माध्यम से विश्लेषण मॉडलिंग टूल इस्तेमाल किए जाएंगे। इससे प्राप्त मानचित्रों को वेब जीआईएस के जरिए प्रयोक्ताओं में वितरित किया जाएगा।
घ) वितरण योग्य
वेब जीआईएस आधारित तटीय सुभेद्यता सूचना प्रणाली बहु जोखिमों के कारण तटीय सीमा की सुभेद्यता के बारे में जानकारी के प्रसार हेतु प्राप्त की जाएगी। अपेक्षित जोखिम रेखा भी तैयार की जाएगी ताकि तटीय क्षेत्र की गतिविधियों की वैज्ञानिक और भावी योजना बनाई जा सके। इन मानचित्रों में उस क्षेत्र की महत्वपूर्ण मूल संरचना, सड़कों, जल मार्गों और पर्यावरण संसाधनों पर जानकारी डाली जाएगी। कुछ प्राथमिकता क्षेत्रों में संसाधनों तथा अन्य मूल संरचना विवरणों को 1:5000 पैमाने के मानचित्र पर तैयार किया जाएगा।
आईएनसीओआईएस ने विभिन्न भौतिक और भूगर्भीय पैरामीटरों का उपयोग करते हुए क्षेत्रीय स्तर पर भारतीय तट के लिए एक व्यापक तटीय सुभेद्यता सूचकांक (सीवीआई) तैयार किया है।
नेल्लोर जिले और कुडडालोर क्षेत्र के लिए एमएचवीएम का निरूपण करने वाले प्रकरण अध्ययनों से तटीय प्रबंधकों हेतु सहज ज्ञान युक्त और महत्वपूर्ण उपयोगी सूचना प्राप्त हुई।
भारतीय तट के साथ बड़े पैमाने पर एएलटीएम (5 मी) और कार्टो – डीटीएम (10 मी) से उच्च विभेदन स्थलाकृति डेटा की उपलब्धता से मानचित्र तैयार किए गए।
ड) बजट आवश्यकता : 80 करोड़ रु.
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम |
2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 |
कुल |
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बहु खतरा जोखिम का मानचित्रण |
10.00 | 20.00 | 20.00 | 15.00 | 15.00 | 80.00 |
Last Updated On 04/27/2015 - 12:47 |