भारत के मुहाने और तटीय क्षेत्रों पर आबादी के घनत्व तथा आर्थिक गतिविधियों में तेजी से वृद्धि होने के कारण बहुत अधिक तनाव हो गया है। तटीय जल, मुहानों और आर्द्रभूमि से अत्यंत विविध और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र मिलते हैं और इस प्रकार ये मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत हैं। घरेलू तथा औद्योगिक अपशिष्टों के जरिए प्रदूषण या तो कुछ स्थानों या बिखरे हुए स्रोतों से होता है जो उत्पादक मुहाने, तटीय जल और समुद्री परिवेश में पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। मुहानों और तटीय जल के स्वस्थ की दीर्घ अवधि निगरानी समय समय पर किए गए सुधारात्मक उपायों के संबंध में प्रदूषण की स्थिति का आकलन करने के लिए अत्यंत अनिवार्य है। इसे ध्यान में रखते हुए 1991 से भारतीय तटीय क्षेत्रों में उपरोक्त मुद्दों को संबोधित करने के लिए तटीय महासागर निगरानी और पूर्वानुमान प्रणाली (सीओएमएपीएस) पर एक कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
अवलोकन नेटवर्कों के माध्यम से मुहानों और तटीय समुद्रों की स्थिति का आकलन करना और प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, भिन्नता के रुझान और भविष्य के लिए इनके स्तरों का अनुमान लगाना।
प्रमुख अनुसंधान और विकास संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के समर्थन से प्रस्तावित अनुसंधान केंद्र द्वारा मॉडलिंग के जरिए प्रदूषकों की निगरानी और पानी की गुणवत्ता के पूर्वानुमान पर प्रस्तावित गतिविधियां कार्यान्वित की जाएंगी।
Last Updated On 04/27/2015 - 12:06 |