आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति ने चरणबद्ध तरीके से कार्यान्वित किए जाने हेतु ‘भारत मौसम-विज्ञान विज्ञान विभाग के प्रेक्षण तथा पूर्वानुमान के आधुनिकीकरण’ कार्यक्रम को अनुमोदित किया था। इस कार्यक्रम के प्रथम चरण को ग्यारहवीं योजना के दौरान कार्यान्वित किया गया। इसके परिणामस्वरूप देशभर में अत्याधुनिक प्रेक्षण प्रणालियों को चालू किया गया जिसमें नेटवर्किंग तथा एकीकरण, उन्हें उच्च कार्य-निष्पादन कम्प्यूटिंग सुविधाओं में उच्च-विभेदन संख्यात्मक मॉडलों में उपयोग करना, उनका दृश्यकरण, पुरालेखन तथा कौशलपूर्ण तरीके से प्रयोक्ता समुदाय को उनका प्रसारण शामिल हैं। आधुनिकीकण के दूसरे चरण का लक्ष्य देश के विभिन्न भागों में आवश्यकतानुसार विभिन्न प्रेक्षण प्रणालियों का आवर्धन तथा विस्तार करना है। पहले चरण में एक पूर्णत: समेकित प्रणाली स्थापित कर दी गई है तथा दूसरे चरण में प्रेक्षण प्रणालियों के अधिकतम आवर्धन सहित मौजूदा प्रणालियों का विस्तार किया जाएगा।
भारत मौसम-विज्ञान विभाग (आईएमडी) की प्रेक्षण प्रणालियों तथा पूर्वानुमान सुविधाओं का आवर्धन
आधुनिकीरण का दूसरा चरण पूरे देश हेतु प्रेक्षणों के दायरे तथा गहनता सघनता को बढ़ाएगा जिसमें केन्द्रीय रूप से संयोजित डिजीटल प्रेक्षणात्मक डेटा प्रापण, प्रोसेसिंग तथा दृश्यकरण प्रणालियां शामिल हैं। यह स्वचालन तथा सेवाओं की उन्नत गुणवत्ता के संबंध में आधुनिकीकरण का पूरा लाभ प्रदान करेगा। परिकल्पित उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु, निम्नलिखित सुविधाओं/प्रेक्षण प्रणालियों को चालू करने की आवश्यकता है। प्रेक्षण प्रणालियों के ढांचे की मौलिक रूप से, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा गठित सिक्का समिति द्वारा सिफारिश की गई थी। आधुनिकीकरण के दूसरे चरण हेतु प्रस्तावित प्रेक्षण प्रणालियां सिक्का समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं।
क्रम संख्या | मद | संख्या द्वितीय चरण |
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1 | सिनोप्टिक एडब्ल्यूएस | 400 |
2 | एआरजी | 2000 |
3 | उपरितन वायु | 14 |
4 | पवन प्रोफाइलर | 52 |
5 | डॉप्लर मौसम रेडार | 34 |
6 | सार्वजनिक मौसम प्रणालियां | 5 |
7 | पूर्वानुमान प्रणाली | 100 |
8 | सूचना प्रोसेसिंग प्रणाली (पुणे में डीआरसी हेतु मिरर) | 1 |
भारत मौसम-विज्ञान विभाग, नई दिल्ली
आईएमडी के आधुनिकीकरण के पहले चरण को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किए जाने के उपरान्त वर्ष 2007-08 से 920 करोड़ रुपए की लागत से कार्यान्वित किया गया। आधुनिकीकरण के प्रथम चरण के दौरान पेश आई अप्रत्याशित कठिनाइयों सहित सभी सीखे गए सबक, अत्याधुनिक प्रेक्षण प्रणालियों के प्रापण के महत्वपूर्ण घटकों तथा आरंभीकरण चक्र को दक्षतापूर्वक पूरा करने में सहायता करेंगे, ये हैं: निर्माण कार्यों हेतु डिजाइन, योजना, बोली, प्रापण तथा तैयारी एवं स्थल पहचान/तैयारी, चालूकरण इत्यादि। वस्तुत:, चिह्नित डीडब्ल्यूआर स्टेशनों हेतु स्थल की पहचान तथा प्रापण के कार्यकलापों को 11वीं योजना के दौरान ही प्रारंभ किया भी जा चुका है। इसी प्रकार, अन्य प्रेक्षण प्रणालियों से संबंधित अन्य दीर्घावधि अग्रणी कार्यों को, इस बारे में सक्षम प्राधिकारियों से अनुमोदन मिलने के उपरान्त, आधुनिकीकरण के द्वितीय चरण को कार्यान्वित करने हेतु तैयारी की अवधि को घटाने के लिए प्रारंभ किया गया है।
(ङ) विदेशी विनिमय घटक सहित बजट आवश्यकता: रु. 1000 करोड़
(रुपए करोड़ में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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आईएमडी के आधुनिकीकरण का द्वितीय चरण | 200 | 250 | 300 | 100 | 150 | 1000 |
Last Updated On 05/25/2015 - 16:18 |