जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विकास के कारण भारत के जल संसाधन दबाव में है । जल जो कि एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है, एक मूल मानवीय जरूरत और एक मूल्यवान परिसम्पत्ति है, तथा इसके उपयोग हेतु उचित योजना, विकास और प्रबंधन आवश्यक है । तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या और बदलते रहन-सहन के स्तरों के कारण हमारे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है तथा दिन-प्रतिदिन प्रति व्यक्ति जल संसाधनों की उपलब्धता कम हो रही है । वर्षा में स्थानिक और कालिक परिवर्तनीयता के कारण, देश को बाढ़ और सूखे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है । भू जल के अत्याधिक दोहन के कारण तटीय क्षेत्रों में नदियों में निम्न प्रवाह में कमी आ रही है, भू जल संसाधन कम हो रहे है और जलदायी स्तरों में खारे पानी की मिलावट हो रही है । बिन्दु और गैर बिन्दु स्रोतों से प्रदूषकों की मात्रा बढ़ने के कारण सतह और भू जल संसाधनों की गुणवत्ता भी गिर हो रही है । भारत द्वारा जल संसाधन प्रबंधन की जिन विशेष चुनौतियों का सामना किया जा रहा है तथा बढ़ती जनसंख्या, कृषि और औद्योगिकी मांग में संभावित वृद्धि, जल निकायों में प्रदूषण का खतरा और दीर्घ अवधि में देश के कई भागों में जल उपलब्धता पर जलवायु दबाव के प्रभाव के कारण जिनके ज्यादा गहरा होने की संभावना है, को 11 वीं पचवर्षीय योजनाओं में पहचाना गया है।
वर्तमान प्रेक्षण नेटवर्क (विशेष रूप से जल-मौसम वैज्ञानिक परिवर्तक जैसे कि वर्षा, वाष्प, बर्फ का पिघलना, नदी प्रवाह, रनऑफ, घुसपैठ) देश के अधिकतर नदी बेसिनों के नदी परिणामात्मक अनुमान प्राप्त करने हेतु समुचित नहीं है । इसलिए, अतिरिक्त प्रेक्षण स्टेशनों के साथ विद्यमान प्रेक्षण नेटवर्क में आवर्धन किए जाने की आवश्यकता है । हांलाकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ विभिन्न स्थानिक और कालिक पैमानों पर वास्तविक समय मौसम और जलवायु संबंधी सूचना उपलब्ध करवाता है, परंतु इन्हें प्रयोक्ताओं की आवश्यकतानुसार कस्टमाइज नहीं किया जाता । हाल ही में कुछ जलाशय प्रबंधन बोर्डों (जैसे कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) से कस्टमाइज पूर्वानुमान हेतु अनुरोध प्राप्त हुए है जो कि जलाशय में जल के प्रभावी प्रबंधन के लिए जल मौसम वैज्ञानिक मॉडलों के लिए इन्पुट हो सकते है । अत: , प्रत्येक जलप्रवण क्षेत्र और नदी बेसिन के लिए विद्यमान जल वैज्ञानिक, मौसम और जलवायु मॉडलों को एकीकृत, मूल्यांकन और अंशांकन किए जाने की जरूरत है । बेसिन स्तर पर जल वैज्ञानिक प्रतिक्रिया पर संभावित प्रभाव का पूर्वानुमान देने के लिए अंशाकिंत मॉडलों को विभिन्न भावी जलवायु परिदृश्यों के साथ चलाए जाने की जरुरत है ।
जलवायु परिवर्तन और परिवर्तनीयता के प्रति संभावित प्रतिक्रिया का प्रमात्रीकरण करने के लिए जल मौसम वैज्ञानिक संसाधन आकलन और प्रबंधन टूलों को विकसित करना ।
(रू. करोड़ में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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बदलते जल चक्र और जलवायु की मॉडलिंग | 19.0 | 24. 0 | 29.0 | 29.0 | 19.0 | 120.0 |
Last Updated On 02/18/2015 - 10:31 |