पिछले एक दशक से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान से साक्ष्य; समुद्री भोजन वेब, पोषक तत्व चक्र, ऑक्सीजन न्यूनतम जोन (ओएमजेड) के गठन, आदि में समुद्री रोगाणुओं द्वारा निभाई गई जटिल और महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। समुद्री सूक्ष्मजीव जैसे पिकोप्लेंक्टन, आर्किया, बैक्टीरिया, एक्टिनोमाइसिटिज़, फंगस और वायरस महासागर के सभी क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिसमें तल के तलछट, जलतापीय वेंट, ध्रुवीय बर्फ की कैप आदि शामिल हैं। इनकी उपस्थिति की संख्या कुल मिलाकर पहचानी गई समुद्री प्रजातियों से बहुत अधिक है, ये सूक्ष्मजीव मुक्त रूप से रहते हैं या अन्य समुद्री जीवों से मिलजुलकर सहजीवी के रूप में रहते हैं, सहजीवी, परजीवी और फेज से मेजबान की शरीर क्रिया और चयापचय पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ता है, जो हमें ज्ञात नहीं है। सूक्ष्मजीवों द्वारा माध्यित जैव प्रतिदीप्तिशील और टॉक्सिन के स्राव के समुद्री जीवों से मिलने की रिपोर्ट की गई है। कई सूक्ष्मजीव, खास तौर पर एक्टिनोमाइसिटीज़ से विशेष एंजाइम और एंटी बायोटिक निकलते हैं, जिसके चिकित्सीय और भैषजिक अनुप्रयोग हैं। जबकि सूक्ष्मजीव जैसे साइनोबैक्टीरिया, क्लोसट्रिडियम से नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद मिलती है, अवायवीय बैक्टीरिया ओएमजेड क्षेत्र के पीओएम से जुड़े होते हैं जो डीनाइट्रिफिकेशन करते हैं और एक ग्रीन हाउस गैस – नाइट्रोजन ऑक्साइड एक अंतिम उत्पाद के रूप में तैयार करते हैं। एनामॉक्स अभिक्रियाओं में बैक्टीरिया की भूमिका हाल ही में रिपोर्ट की गई है। वायरस जाने माने रोगाणुओं होने के नाते सूक्ष्म शैवाल में विक्षिप्तता, बैक्टीरियल कोशिकाओं का संलयन और डाइमेथिल सल्फो नियोट्रोपियोनेट (डीएमएसपी) के एंजाइमी जल अपघटन द्वारा डाइमेथिल सल्फाइड (डीएमएस) का उत्पादन किया जाता है। यह माना गया है कि समुद्री परिवेश में सूक्ष्मजीवों की कार्यात्मक भूमिका विविध है और संभवत: ये पिछले विवरण की अपेक्षा अधिक उल्लेखनीय है, जिन्होंने समुद्री विज्ञान में विशेष क्षेत्र के रूप में सूक्ष्म जीव महासागर विज्ञान के उभरने का आधार बनाया है।
समुद्री सजीव संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र, कोच्चि; एनआईओटी; एनसीएओआर; एनआईओ – गोवा; एनआईओ – कोच्चि; गोवा विश्वविद्यालय; पुणे विश्वविद्यालय; मैंगलोर विश्वविद्यालय; सीएएसएमबी; अन्नामलाई विश्वविद्यालय।
ग) कार्यान्वयन योजना :
इस योजना को सूक्ष्मजैविक महासागर विज्ञान अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए बहु संस्थागत गतिविधि के रूप में प्रस्तावित किया गया है। विभिन्न विषयों के तहत गतिविधियों के मूल्यांकन के लिए यह प्रस्तावित है कि एक परियोजना निगरानी समिति का गठन किया जाएगा जो परियोजनाओं की प्रगति का निरीक्षण करेगी और मध्यावधि सुधार का सुझाव देगी, यदि कोई हो। इसके अलावा कार्यक्रमों के लिए एक विषय निर्वाचन समिति भी बनाई गई है जो उन नीतियों और कार्यनीतियों को मार्गदर्शन प्रदान करेगी जिनका सूक्ष्मजैविक महासागर विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व और सार्थकता है।
ङ) बजट : 100 करोड़ रु.
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम |
2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 |
कुल |
---|---|---|---|---|---|---|
सूक्ष्मजैविक महासागर विज्ञान | 5 | 20 | 25 | 25 | 25 | 100 |
Last Updated On 04/24/2015 - 14:36 |