भारत, जो समृद्ध समुद्री विरासत के साथ पारंपरिक रूप से एक समुद्री देश है, के पास लगभग 2.37 मिलियन वर्ग किलो मीटर का एक अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है, जिसमें भारत को सभी सजीव और निर्जीव संसाधनों का उपयोग करने का विशेष कानूनी अधिकार प्राप्त है। परियोजना मुख्य रूप से व्यवस्थित तलछट नमूना और उसके विश्लेषण के साथ साथ अत्याधुनिक बहु बीम प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए भारत के संपूर्ण ईईजेड के मानचित्रण पर केंद्रित है। संपूर्ण ईईजेड को दो क्षेत्रों अर्थात गहरे जल वाले क्षेत्रों (> 500 मीटर गहरा जल) और उथले जल वाले क्षेत्रों (<500 मीटर गहरे जल) में विभाजित किया गया है।
10 वीं योजना से जारी यह मंत्रालय का एक सतत कार्यक्रम है और इसे 12 वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रखा जाएगा। कार्यक्रम के कार्यान्वयन से, हमारे अनन्य आर्थिक क्षेत्र की एक स्पष्ट तस्वीर उभरेगी। मल्लाह, नाविक, योजनाकारों, मत्स्य पालन और खनिज संसाधन, शोधकर्ताओं और अन्य अनेक के लिए ईईजेड का व्यापक विस्तृत बाथीमीट्रिक मानचित्र सहायक होगा। इससे अपार लाभ होगा क्योंकि ईईजेड पर जानकारी तटीय क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है।
ग्यारहवीं योजना अवधि के दौरान भारतीय ईईजेड के व्यवस्थित मानचित्रण में अत्याधुनिक बहु बीम बाथीमीट्रिक उपकरणों का उपयोग शुरू किया गया था, और अब तक, 500 मीटर पानी की गहराई से आगे ईईजेड के गहरे पानी क्षेत्रों के लगभग 30% का मानचित्रण किया गया है। कुछ महत्वपूर्ण अवलोकनों में इसके पश्चिम में नब्बे पूर्वी रिज और पूर्व में अंडमान खाई के बीच चैनल-सेतु सिस्टम की उपस्थिति शामिल है। लक्षद्वीप से परे दो समुद्री टीलें और गोवा के परे समुद्र संस्तर में पोकमार्क्स पाए गए हैं। बाथीमीट्रिक प्रेक्षणों के अलावा, चयनित स्थानों पर समुद्री संस्तर-उपसमुद्री संस्तर से नमूने भी लिए गए हैं और विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रगति पर हैं। भारतीय ईईजेड के 2 लाख वर्ग किमी से अधिक बड़े क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए और महाद्वीपीय शेल्फ के सीमांकन पर बने संयुक्त राष्ट्र आयोग (सीएलसीएस) के समक्ष विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत दावे की दृष्टि से, 200 मीटर के आगे महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्रों के अध्ययन का विस्तार करने की जरूरत को देखते हुए, बाथीमीट्रिक मानचित्रण जारी रखने और बारहवीं योजना के दौरान एक समर्पित चार्टर्ड समुद्र वैज्ञानिक पोत का उपयोग करते हुए मिशन मोड पर व्यवस्थित नमूने लेने का प्रस्ताव है।
<500 मीटर जल की गहराई के अंदर आने वाले ईईजेड क्षेत्र का अध्ययन एनआईओ और एनआईओटी द्वारा किया जाएगा, जबकि एनसीएओआर> 500 मी की जल गहराई का अध्ययन करने के लिए जिम्मेदार होगा। एनसीएओआर एक वेब आधारित समुद्री भूवैज्ञानिक डाटाबेस के विकास सहित अपनी संपूर्णता में इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी भी होगा।
मौजूदा परियोजना भी उन्हीं उद्देश्यों और लक्ष्यों के साथ आगामी योजना अवधि में जारी रखी जाएगी। परियोजना का कार्यान्वयन अलग बहु बीम विनिर्देशों के रूप में दो समानांतर धाराओं में उथले पानी (20-500 मी गहरे) के लिए और गहरे पानी सर्वेक्षण (500 मीटर की गहराई से आगे) के लिए किया जाएगा।
बनाई गई अध्ययन योजना से (क) देश के ईईजेड का एक व्यापक समुद्री संस्तर मानचित्र और (ख) समुद्री संस्तर – उप समुद्री संस्तर तलछट विशेषताओं पर प्रचुर जानकारी प्रदान की जाएगी, जिसमें पूर्व-जलवायु विज्ञान के साथ-साथ अपतटीय खनिज अन्वेषण का विशेष महत्व होगा।
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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ईईजे़ड सर्वेक्षण | 25.00 | 24.00 | 24.00 | 25.00 | 24.00 | 122.00 |
Last Updated On 06/17/2015 - 12:52 |