भारतीय महाद्वीपीय शेल्फ परियोजना, जो नवम्बर 1999 के दौरान आरंभ हुई थी, एक बहु संस्थागत और कई करोड़ धनराशि के साथ बनाया गया राष्ट्रीय मिशन है जिसमें अपेक्षित वैज्ञानिक और तकनीकी सूचना का संकलन, विश्लेषण और दस्तावेज बनाने का कार्य किया जाता है, जिससे संयुक्त राष्ट्र समुद्र विधि कन्वेंशन (यूनीकोलस) के प्रावधानों के अनुसार देश की विस्तारित शेल्फ सीमाओं को 200 मीटर से आगे परिभाषित करने में मदद मिलेगी। हमारे प्रयासों में व्यापक बहु संस्थागत समुद्री भू भौतिकी सर्वेक्षण और डेटा विश्लेषण कार्यक्रम शामिल रहे हैं जिसमें अति आधुनिक बहु चैनल भूकंप परावर्तन, अपवर्तन, गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय डेटा प्रोफाइलिंग शामिल है। डेटा अधिग्रहण का कार्य 17 जुलाई 2002 को संविदात्मक करार के माध्यम से शुरू किया गया था और इसे 7 फरवरी 2004 को पूरा किया गया है। साफ मौसम के दौरान, 385 दिनों से अधिक की अवधि में, भारत के ईईजेड के भीतर और निकट के लगभग 31,000 कि.मी. के क्षेत्र में भूकंप परावर्तन, , गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय डेटा एकत्रित किए गए। इसके अलावा, देश में पहली बार, 90 आधुनिकतम महासागर तल सीजमोमीटर (ओबीएस) अनेक भूकंप ट्रांसेक्ट के साथ-साथ सफलतापूर्वक तैनात किए गए, ताकि परावर्तन के आंकड़ों से संवेग को सीमित रखा जाए और साथ ही साथ क्षेत्र का एक पर्पटीय मॉडल विकसित किया जाए। भारत ने 11 मई 2009 को, अनुच्छेद 76 के प्रावधानों के तहत, 200 मी से आगे विस्तारित महाद्वीपीय शैल्फ पर देश का प्रथम आंशिक दावा संयुक्त राष्ट्र महाद्वीपीय शैल्फ के सीमांकन पर बने आयोग (सीएलसीएस) को प्रस्तुत किया। स्टेमेंट ऑफ एंडरस्टैडिंग के प्रावधानों के तहत दूसरे आंशिक दावे के लिए तकनीकी दस्तावेज विवरण को सीएलसीएस में प्रस्तुत करने के लिए विदेशी मंत्रालय को भी उपलब्ध करवाया गया।
भारतीय ईईजेड से अपेक्षित वैज्ञानिक और तकनीकी डेटा एकत्र करना जिससे यूएनसीएलओएस के प्रावधानों के तहत 200 मी. से आगे एक विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ के लिए भारतीय दावों को परिभाषित, सीमांकन और पुष्टि करने में सहायता मिलेगी।
जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में होता आ रहा है, कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक और संभार तंत्र पहलुओं की योजना, समन्वय और कार्यान्वयन से संबंधित पहलुओं पर कार्य मंत्रालय की ओर से एनसीएओआर द्वारा किया जाएगा।
इस परियोजना से सर्वाधिक उल्लेखनीय प्रदायगी में 200 मीटर से आगे महाद्वीपीय शैल्फ के समुद्र संस्तर और उप-मृदा में प्राकृतिक संसाधनों (खनिज और अन्य निर्जीव संसाधन के साथ-साथ जीवित स्थिर जीव) के दोहन और अन्वेषण पर देश का संप्रभु अधिकार है।
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
---|---|---|---|---|---|---|
सीएलसीएस परियोजना | 2.00 | 2.00 | 3.00 | 2.00 | 2.00 | 11.00 |
Last Updated On 06/17/2015 - 10:42 |