वर्ष 1981 में अंटार्कटिक में प्रथम भारतीय वैज्ञानिक अभियान के बाद से ही भारत अभियान कार्मिकों तथा कार्गो के परिवहन का प्रबंधन करता है जो किराए पर लिए गए जहाजों के माध्यम से अंटार्कटिक आते और जाते हैं। तथापि, यह स्पष्ट है कि ये जहाज मूलत: हिम श्रेणी कार्गो जहाज थे जिन्हें समुद्र वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों के लिए अनुपयुक्त पाया गया था। इस पर विचार करते हुए 1) वैज्ञानिक समुदाय द्वारा समुद्र विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में अध्ययनों प्रारंभ करने के लिए बढ़ती आवश्यकता, 2) ध्रुवीय जहाजों को किराए पर लेने की अनिश्चितता और लगातार बढ़ती चार्टर लागतें, और 3) आर्कटिक और दक्षिणी महासागर में हमारी वैज्ञानिक गतिविधियों का विस्तार करते हुए मंत्रालय ने 11वीं योजना अवधि के शुरूआती भाग के दौरान, एक ध्रुवीय अनुसंधान जहाज के निर्माण और कमिशनिंग की व्यवहार्यता को खोजने का निर्णय लिया, जो ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर कार्यक्रमों के वैज्ञानिक तथा संभार संबंधी दोनों ही पक्षों की पूर्ति कर सके। देश के ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी के रूप में एनसीएओआर को कार्य कार्यक्रम के विभिन्न पक्षों की योजना, समन्वय और संपन्न करने की जिम्मेदारी दी गई थी। ईएफसी और संबंधित सक्षम निकायों/प्राधिकारियों के अनुमोदन के साथ एनसीएओआर ने 2008-09 के दौरान कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु आरंभिक कार्य शुरू किया।
राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र, गोवा
प्रदायगी के बाद ध्रुवीय अनुसंधान पोत अंटार्कटिका, दक्षिणी महासागर और आर्कटिक समुद्रों में भारतीय वैज्ञानिक प्रयासों के वैज्ञानिक और संभार तंत्री आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
अब तक मालवाहक जहाजों का उपयोग करते हुए इस परिणाम के साथ अभियान शुरू किया गया है कि महत्वपूर्ण समुद्री वैज्ञानिक प्रयोगों को शुरू नहीं किया जा सका।
हमारा अपना हिम भंजक जहाज होने से भारत की विदेशी जहाजों पर निर्भरता नहीं रहेगी और हमें विविध वैज्ञानिक कार्यक्रमों की योजना बनाने की आजादी मिलेगी।
इस जहाज से दो अलग अलग भारतीय स्टेशनों – मैत्री और भारती – आवश्यकता की भी पूर्ति होगी, जहां तक जीवन बचाने वाली मदों जैसे ईंधन, खाद्य पदार्थ और दवाओं के साथ साथ, अन्य उपकरण जैसे बर्फ में चलने वाले वाहन, वैज्ञानिक उपकरणों की आपूर्ति का मामला है, इससे अपार विदेशी मुद्रा की बचत हो सकेगी।
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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ध्रुवीय अनुसंधान पोत का निर्माण | 316.00 | 321.00 | 137.00 | 22.00 | 1.00 | 797.00 |
Last Updated On 06/16/2015 - 16:32 |