तटरेखा पर प्राकृतिक प्रक्रमों और मानव निर्मित गतिविधियों के कारण अनेक भू – आकरिकी बदलावों का प्रभाव होता है। तट रेखा के बदलाव भारतीय तट सहित अनेक हिस्सों में गंभीर समस्याओं में से एक हैं। तटीय परिसंचरण को समझना और तट रेखा के बदलावों को जानना अनिवार्य है ताकि इसे भावी पीढियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। तट रेखा के पीछे हटने के कारण तट को नुकसान पहुंचता है और परिणामस्वरूप तटीय रेखा को हानि होती है जिससे तट पर रहने वाले समुदायों के लिए खतरा बनता है। तटीय रेखा में होने वाले बदलावों को समझने के लिए आवश्यक प्रमुख जानकारी तटीय परिसंचरण और तलछट परिवहन पैटर्न हैं। अत: 12वीं योजना के दौरान इस विषय में एक व्यापक कार्यक्रम लिया जाएगा।
तटीय जल में तटीय परिसंचरण और तलछट परिवहन प्रक्रमों को समझना, जो तटीय रेखा में बदलावों के आकलन की सुविधा के लिए प्राथमिकता क्षेत्रों में तलछट परिवहन के मौसम पैटर्न की जानकारी देते हैं।
तट रेखा के बदलावों के घटक मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्तर पर इकमाम – पीडी द्वारा सांख्यिकी विश्लेषणों के साथ मॉडलिंग और जीआईएस अनुप्रयोग पर फोकस के साथ कार्यान्वित किए जाएंगे। डेटा संग्रह, सांख्यिकी मॉडलिंग और क्षेत्रीय स्तर के लिए तलछट बजट अभिकलन पर घटकों को इकमाम पीडी और एनआईओटी द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया जाएगा। सामान्य परियोजना दस्तावेज उपरोक्त संस्थानों के बीच कार्य के विभाजन के साथ तैयार किए जाएंगे और इन विवरणों को अनुभाग 3.8.6 में भी दर्शाया गया है।
Last Updated On 02/18/2015 - 10:40 |